Wednesday, December 5, 2007

सागर के तट पर .....



गरमी के दिन में beach पर ठंडी हवा चल रही थी और पैरों तले जलती रेत ज़मीन पर पाँव ही नही पड़ने दे रही थी. गर्मी से बचने के लिए कुछ लोग ऐटलांटिक महासागर के ठंडे पानी में डुबकी लगा रहे थे और कुछ छतरी के नीचे छाँव और ठंडी हवा का मज़ा ले रहे थे. कुछ दूरी पर छोटे बच्चे गीली रेत से दुर्ग बना रहे थे, दीवारें टूटे हुए सीप और घोंघॆ से बनी हुई थी और गीली लकड़ी बहती हुई किनारे पर आ गई थी उस पर किले का झंडा लहरा रहा था. बस कमी थी तो कुछ सिपाहियों की और राजा-रानी की. किनारे पर आठ दस छोटी छोटी चिड़िया लहरों तक जाती और भाग कर वापस किनारे पर गिरती पड़ती आ जाती. पानी से भीगती हुई रेतीले तट पर पाँवों के निशान छोड़ देती थी और लहरें आकर बालू की स्लेट से उसे मिटा देती थीं। मैं इतनी तन्मयता से उनका ये खेल देख रही थी कि समय का बोध ही नही हुआ. उस समय मालूम नही था कि उनका नाम क्या है? उनका आवास स्थल कहाँ होता है ? आज न्यू योर्क टाईम्स पढ़्ते हुए उनके बारे में लेख देखा जिसमें इन नन्ही चिड़ियाओं का वर्णन था। इनको Piping Plover कहते हैं और ये endangered species के अन्तर्गत आती हैं।

इनका प्राकृतिक वास रेतीला तट होता हैं, वहीं पर ये अपने अंडे सेती हैं। अंडे अठन्नी के बराबर होते हैं। इनका वज़न केवल ५० ग्राम होता है। इनका आवरण प्राकृतिक वास से मिलता-जुलता है, इसी कारण ये बहुत आसानी से पैरों के नीचे या Beach पर चलने वाली गाड़ियों के नीचे आ जाती हैं। सुरक्षा के लिये इनके आवास को रस्सी के दायरे में सुरक्षित किया जाता है, Beach को भी बंद कर दिया जाता है। कुछ लोग को इससे आपत्ति भी होती है पर अब तक ये प्रयास सफ़ल रहा है। बीस साल पहले इन जोड़ों की संख्या ७३२ थी पर अब १,७४३ है। २००० तक की संख्या होते ही ये endangered species नहीं रहेंगे।

छोटी सी ये चिड़िया पानी की लहरों से जब खेलती हैं तो लगता है नन्ही-नन्ही इच्छाएँ इधर-उधर फुदक रही हैं, लहरों तक जाती हैं, उनसे जूझ कर वापस आ जाती हैं। फिर एक बार हिम्मत बटोर कर वापस जाती हैं लहरों से जूझने। प्रयास, ये अनन्त विश्वास का, मन को सुखद अह्सास देता है, अब उसे बचाना चाहिये न।

The Depth
I was washed ashore like the
green sea weed on the supine shore.
The waves tugged my feet
embedded in the sand,
The birds tripped and fell and
came back to the shore,
The sun receding from my body,
slipped through my hand into the ocean.
Deep in there lay the sea shells
my outstretched hand tried to
reach for them but couldn't
reach the ocean floor.
In that depth somewhere,
You were still holding my hand.
__________________

10 comments:

Pratyaksha said...

अच्छा लगा पढ़कर । कविता भी बेहद सुंदर !

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

रजनी भाभी , आपका लिखा ये जाल घर मेरे सबसे प्रिय में से एक है - जैसे प्रत्यक्षा का भी है !

रजनी भार्गव said...

प्रत्यक्षा और लावण्या दी,प्रोत्साहन के लिये धन्यवाद.

अजित वडनेरकर said...

रजनी जी,नमस्कार
आपकी प्रतिक्रियाएं हमेशा प्रोत्साहित करती हैं, आत्मीय लगती है। जवाब न देने की गुस्ताखी अक्सर हुई है। बड़े मन से माफी देंगी, उम्मीद है।
नए साल में ये ग़लती दोहराने से बचना चाहूंगा।
आपको मंगलमय हो नया साल, हों मनोरथ पूरे....

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

नए साल की शुभकामनाएं आपको भी।
-- Lavanya & Family

Unknown said...

अनूप, रजनी - नव वर्ष की सारी शुभकामनाएं सभी परिजनों को - आगत वर्ष में प्रतीक्षा / टकटकी रहेगी आपके ब्लॉगों पर जिन्हें पढ़ना बहुत अच्छा लगता है - हम सब की और से - मनीष

ghughutibasuti said...

अच्छा लगा आज आपको पढ़कर । यूँ ही लिखते रहिये और टिप्पणी भी करते रहिये ।
घुघूती बासूती

Riho said...

मै एस्तोनिया से हूं
यह एक छोता देश यूरोपे में है
मैं हिंदी सिख चाहता हूं
मुझ्को भारत बहुत पासन्द है

मेरा पता alla.riho@gmail.com है
मेरा प्रार्थ्ना है कि तुम मेरे साथ बात कारेगे

धान्यावाद्
रिहो अल्ला

डॉ .अनुराग said...

sachmuch me aapne ek khasa chitr kheech diya hai zehan me.

wordfield said...

I have enjoyed your post on the piping plovers (which I read in the halting English of the machine translation provided by Google; I don't know Hindi at all), and your English poem in this post as well, and thought you might enjoy my own photo of one of these birds, taken at Cape May, NJ, on the banner of my Haikai Pub blog, at http://haikaipub.wordpress.com/.

I look forward to meeting you and your husband, and our mutual friend Angelee, next week.

Bless,
Bill Higginson