Wednesday, June 11, 2008

उफ़! ये गरमी !



थोड़ी सी छाँव देखकर उसी तरफ़ सरक गई। चिलचिलाती धूप आग के गोले बरसा रही थी। आज का तापमान १०० डिग्री फ़ैरहनाईट के करीब पहुँच गया था। सैंटीग्रेड में देखा जाये तो लगभग ३८ डिग्री होगा । गर्मी से बेहाल, पसीने से तरबितर बर्फ़ की सिल्ली पर लेटने का मन कर रहा था। टी. वी और रेडियो पर Heat Advisory पोस्ट कर रहे थे कि धूप में बाहर मत निकलो और Power Outage यदि हो तो क्या क्या एहतियात बरतनी चाहिये। बड़े बूढ़ों का कैसे ख्याल रखा जाय। दिल्ली की गर्मी याद आई तो लगा ये गर्मी तो कुछ भी नहीं पर सहन करने की सीमा हमारे वातावरण के अनुकूल होती है और अब इतने साल यहाँ रहने के बाद ये भी असहनीय हो गई है।

सर्दी में जब बर्फ़ पड़ती है या मौसम बहुत खराब होता है तब स्कूल के प्रारम्भ में ही स्कूल के कैलेंडर में तीन-चार दिन Snow Day के लिये सुरक्षित होते हैं और मौसम के खराब होते ही वो इस्तमाल कर लिये जाते हैं। अगर बर्फ़ न पड़े और Snow Days का इस्तमाल न किया हो तो बच्चों को कुछ दिन की अप्रत्याशित छुट्टी मिल जाती है । ऐसा ही कुछ इस बार हुआ और हमारी बिटिया नें उसका पूरा आनन्द उठाया । बिना बताये आने वाली छुट्टी का मज़ा ही कुछ और है ।

बात गर्मी की हो रही थी। गर्मी इतनी तेज़ है कि कई स्कूल जो बीस -पच्चीस साल पहले बने थे उन में एअर कन्डिशनर नहीं लगा हुआ है। बच्चों की तबीयत खराब नहीं हो इसीलिये स्कूल से आधे दिन की छुट्टी हो गई है। हमारी स्कूल डिस्ट्रिक्ट में माता-पिता की फ़ोन काल से परेशान हो कर स्कूल की वेब-साईट पर ये कैप्शन था ’We know it's hot out there but schools are still open" अभी तक गर्मी की वजह से कभी स्कूल की यहाँ छुट्टी नहीं हुई है पर अब लगता है कि कुछ Heat Days भी सुरक्षित कर देने चाहिये। घर में बैठ कर ए.सी का मज़ा लिया जाए और पोपसिकल का भी।

5 comments:

आलोक साहिल said...

बिल्कुल सही कहा आपने.
आलोक सिंह "साहिल"

बालकिशन said...

क्या कहें.
हम भी यंहा गर्मी का मज़ा ले रहे हैं.
आपसे सहमत हूँ कि
"पर अब लगता है कि कुछ Heat Days भी सुरक्षित कर देने चाहिये। घर में बैठ कर ए.सी का मज़ा लिया जाए और पोपसिकल का भी।"

Udan Tashtari said...

ठीक है जी. हमारे लिए ऑरेंज पोपसिकल बचा लिजियेगा. :)

डॉ .अनुराग said...

पहले इत्तेफाक समीर जी बात से ....दूसरा ये की अब green house effect की वजह से सारा envoiurment बिगड़ता जा रहा है.....कुछ सोचना चाहिए.....

रजनी भार्गव said...

समीर जी और अनुराग जी आपके लिये औरंज पापसिकल तो बचा ली। अब आपका इंतज़ार है।
बाल किशन जी और आलोक जी ब्लाग पर आने के लिये धन्यवाद।